लेखनी प्रतियोगिता -26-Jan-2022
जंग के लिए बॉर्डर पर जाने के लिए घर से निकलते हुए बहादुर फौजी । ओर अपने मुल्क को छोड़कर रिज्क ( रोजी रोटी) की तलाश मै दूसरे मुल्क जाने के लिए अपना घर छोड़ते हुए आम आदमी दोनो की हालत एक जैसी होती हैं ।
एक अपने मुल्क को दुश्मन से बचाने के लिए अपना घर अपनी मां और बीबी बच्चो को छोड़ देता हैं । ओर वही दूसरा अपने घर की जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए अपने परिवार को भूख , जिल्लत और रुसवाई से बचाने के लिए परदेस का सहारा लेते हुए अपने बीवी, बच्चो , मां - बाप , भाई - बहन और यहां तक की अपने लंगोटिया यारो को भी छोड़ एक अनजान शहर सात समंदर पार जहां उसे कोई जानता तक नही ।
वहा वो अपना रिज्क तलाशने ने के लिए जाता हैं । अगर चे कोई भी इंसान इस पापी पेट ( जो मरने तक कभी नही भर सकता ) और जालिम ख्वाहिशों ( जो कभी पूरी ही नही हो सकती ) का अगर गुलाम ना हुआ होता ओर शहर का रुख ना करता तो आज कोई मां कोई बीवी अपने बेटे अपने शौहर का रोज दरवाजे पर खड़े होकर उसका बेसब्री से इंतज़ार ना करती
तो कहानी शुरु होती हैं रामपुर नामी शहर से जहा एक मुस्लिम परिवार रहता है ये बात है १९९० के दशक की जब लोगो से राब्ते के लिए लॉग खत पर निर्भर थे और कुछ जगह पीएनटी हुआ करते थे ।
शाम का समय होता है करीब ६ बजे होंगे । दरवाजे पर किसी की दस्तक होती हैं । रसोई घर से आवाज़ आती हैं ऐमन बेटा देख तो दरवाजे पर शायद तेरा भाई होगा । जी अम्मी देखती हू । ऐमान ने रूबीना से कहा ( जो ऐमन की मां है) । जो रसाई घर मै खाना बना रही होती हैं। ऐमन दरवाजा खोलते ही भाई को सलाम करती है । मुस्तकीम वालेकुम अस्सलाम। काफी थके लग रहे है भाई अंदर आए मै ठंडा पानी लाती हूं । बोहोत ही गर्मी हैं आज लगता हैं जैसे सूरज ने आग उगल दी हो जैसे ये कहता हुआ मुस्तकीम अंदर घुसा।
ओर ऐमन जो की उसकी छोटी बहन होती हैं । उसके हाथ मै कुछ फल की थैली देता हुआ बोला इसमें तरबूज हैं । अपनी भाभी मेहरुन्निसा से कहना काट कर फ्रिज मै रख दे । जी भाई वो जैसे ही नमाज खत्म कर ती हैं मै कह दूंगी । मुस्तकीम अपनी बाइक जो की काफी पुरानी हो चुकी थीं उसे बाइक स्टैंड पर लगा रहा होता है । इतने मै मेहरूनीसा ( उर्फ मेहरू ( निक नाम) । पानी का ठंडा गिलास लेकर आती हैं। तुम तो नमाज मै थी । मुस्तकीम ने कहा । जी अभी अभी पढ़िए। अच्छा फिजा ( मुस्तकीम और मेहरू की ५ साल की बेटी) कहा हैं नजर नही आ रहि हैं । अपने कमरे मैं है पढ़ रहि है। मेहरू ने कहा ।
फिजा - फिजा मुस्तकीम ने प्यार भरी आवाज़ मै बेटी को पुकारा । बाप की आवाज़ सुन फिजा अपनी किताबे छोड़ बाप के सीने से जा लगी । मुस्तकीम अपनी जेब से चॉकलेट निकलता है और उसका दे देता है । चॉकलेट देख फिजा की खुशी का ठिकाना ना रहा ।
मेहरू रोज रोज चॉकलेट ना लाया करे इसके लिए इसके दात खराब हो जाएंगे। कुछ नही होता मुस्तकीम ने कहा । पता नही क्यों मै जब भी किराना की दुकान से गुजरता हू तब मेरी नज़र इस चॉकलेट पर अचानक चली जाती है और मेरे सामने फिजा के चेहरे की मुस्कान सामने आ जाति है और मै ना चाह कर भी इसे खरीद लेता हूं । चलो मै कल कुछ और लाऊंगा तुम्हारे लिए जिससे की मुझे तुम्हारी मां से डांट ना खानी पढ़े । तभी रूबीना रसोई से आवाज़ देती है अगर बेटी पर ही सारा प्यार लुटा चुके हो तो थोड़ा अपनी मां के लिए भी बचा लो वो भी तुम्हरे इंतज़ार मै बैठी होती है ।
ओह अम्मी आप तो मेरी जान है । ये कहता हुआ मुस्तकीम रसोई मै अपनी मां के पास जाता है। रूबीना उसका माथा चूमती है। अम्मी अब्बू नही आए अभी तक । भाई वो सुबह कह कर गए थे की शाम को देर से आएंगे वो पड़ोस वाली गली मै लिंटर डाल रहे है ( मुस्तकीम के अब्बू एक मजदूर है जिनका नाम मोईन है) सारा जो की मुस्तकीम से दो साल छोटी दूसरी बहन है वो मुस्तकीम को बताती है।
तकरीबन आठ बजे मोईन जी आ जाते है। उसके बाद सब खाना खाते हे। ओर अपनी अपनी जगह पर सोने चले जाते है । मुस्तकीम अपने बिस्तर पर लेटा होता है और मेहरू से पूछता है फिजा सो गईं क्या। जी सो गई मेहरू ने जवाब दिया। आज का दिन तो बोहोत ही busy रहा ( मुस्तकीम एक प्राइवेट कंपनी के प्रोडक्ट sell करता है बाइक से) ओर गर्मी भी शदीद हो रहि थी। आज दूध वाला पेसो का कह रहा था मेहरू ने कहा । अच्छा उससे कहना २ दिन ओर रुक जा सैलरी आ जाएगी । एक तो ये अखराजात काम होने का नाम नही लेते ओर महंगाई है की आम आदमी की कमर तोड़े देती है । मुस्तकीम कहता हे सोच रहा हूं कही बाहर निकल जाऊं दुबई या फिर सऊदी । ये सुन मेहरू की आंख भर आई ओर वो बोली मैं सूखी रोटी खा लूंगी मगर आप को मुझसे और फिजा से दूर नही भेजूंगी आप कसम दे मुझे ऐसी बात दोबारा नही लाए गै अपनी जुबान पर । अरे मैं तो मजाक कर रहा था । मे केसे तुम सब से दूर रह सकता हूं । इसके बाद वो दोनो सोने चले जाते है
अगला दिन , मुस्तकीम और उसके अब्बू नाश्ता कर के अपने काम पर निकल जाते है । दूसरी तरफ मेहरू फिजा को मदरसे छोड़ने चली जाती है।
करीब १२ बजे । किसी ने उनके घर के दरवाजे पर जोर जोर से कुंडी बजाई । सारा बाजी गजब हो गया एक बच्चा हाफ्ता हुआ उन के घर मै घुसा क्या हुआ कुछ बताओ तो । सारा बाजी वो आपके अब्बू। अब्बू क्या हुआ मेरे अब्बू को सारा ने घबराते हुए कहा। आप के अब्बू उपर छत से नीचे गिर गए पाड बनाते हुए । ये सुन उनके घर वालो के पेरो तले जमीन निकल गईं और वो बाहर भागने लगे तभी किसी ने बताया की उनको अस्पताल ले कर गए है। सब घर वाले अस्पताल पोहचाय।
अस्पताल पोहोछ कर उन्हे पता चलता है की उनका ऑपरेशन होना है दिमाग का जिसके लिए उन्हें काउंटर पर ५ लाख रुपए जमा कराना होगा। उस समय मोबाइल नही होता जिस से वो अपने बेटे को फोन कर सकते
लेकिन खुदा के फजलो करम से मुस्तकीम अपने मोहल्ले मै ही सामान sell कर रहा होता है । तभी उसे उस के बाप का पता चलता है। ओर वो दौड़ा दौड़ा अस्पताल आ जाता है । वहा जाकर उन दोनो ने सब कुछ बता दिया ये सुन मुस्तकीम बाहर जाता है और जो जमीन का टुकड़ा उन्होंने घर बनाने के लिए लिया होता है उसे बेच कर बाप का ऑपरेशन करवाता है। पर जो खुदा की मर्जी वो बच न सके।
वो वक्त उन पर अजमाइश का वक्त था । उन पर एक मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा होता हैं। कुछ दिन गुजर गाए मुस्तकीम अपने काम पर दोबारा जाने लगा । लेकिन अब वो बोहोत फिकर मंद रहने लगा था । उसको अपना घर चलाना बोहोत मुश्किल लग रहा था । वो एक कमाने वाला और ५ लोग खाने वाले और एक बच्ची भी और ऊपर से किराए का घर जिसका रेंट तो देना ही देना वरना सड़क पर आने का खतरा । लेकिन वो टूटा नही और हिम्मत दिखाई । इसी तरह ६ महीने गुजर गए उसके घर के हालत पहले से भी बुरे हो गए उसकी बाइक बिक जाती है । अब वो पैदल ही जगह जगह समान बेचता फिरता ।
फिर एक दिन उसका एक दोस्त मिला जो लोगो को illigaly बाहर भेजता उसने उसको भी बाहर जाने का मशवरा दिया । पहले तो उसने मना कर दिया। पर रात भर सोचता रहा अपने घर के हालत के बारे मैं , उसकी दो जवान बहने जो शादी की उम्र को पार कर रही होती है, उसकी बीमार मां उसकी बेटी और हामला ( प्रेगनेंट) बीवी । इसी कशमकश मै वो २ दिन रहा ओर तीसरे दिन उसने अपने घर वालो को बता दिया । ये सुन उसके घर वाले बोहोत उदास हुए पर सबसे ज्यादा उसकी बीवी मेहरू। वो रोने लगी और बोली आपने मुझसे वादा किया था की आप परदेस का नाम नही लो गै । फिर आज क्यू। मुस्तकीम अपने रोते दिल को चुप कराते हुए बोला मेहरू मेरी प्यारी मेहरू उस वक्त समय अलग था बाबा जिंदा थे मेरा हाथ बट जाता था लेकिन अब मै अकेला हूं । मेहरू बोली आप के बिना ये कमरा कटने को दोडेगा और फिजा का क्या उससे क्या कहूंगी और ये नया मेहमान जो कुछ दिनों मै आने वाला है । ये तो अपने बाप का चेहरा भी न देख पाए गा । कई घंटे दोनो मे बहस होती रही पर आखिर मै मेहरू राजी हो गई।
अगले दिन मुस्तकीम अपने दोस्त को बता देता है । वो उससे १ लाख रुपए मांगता है । मुस्तकीम कहता हे अगर एक लाख रुपए मेरे पास होते तो मै परदेस क्यू जाता । भाई ये तो बोहोत कम पैसे है लोग तो परदेस जाने के लिए कई लाख रुपए दे देते है । तुम्हरे पास कल शाम का टाइम है कल मुंबई के लिए ट्रेन निकले गी वहा से तुम पानी वाले जहाज से अलग अलग कंट्री का बॉर्डर पार करते हुए अमेरिका पोहॉच जाओगे। मरता क्या न करता , मुस्तकीम ने उधार लेकर दोस्तो से उसको दे दिए और समान पैक कर के घर से निकल गया । उस दिन उसके घर मै किसी ने खाना नही खाया । कुछ महीनो बाद वो अमेरिका पोहॉच गया । परदेस जितना खूबसूरत दूर से दिखता है उतना ही जालिम होता है । आदमी को तोड़ कर रख देता है ।
कई दिनों की मुशक्कत के बाद वो एक रेस्तौरान मे वेटर के काम पर लगा । उसका राब्ता अपने घर से खत के जरिए होता । मेहरू उसकी याद में दरवाजे पर खड़ी रहती ओर रात को रोती । मुस्तकीम को भी उसकी बोहोत याद आती । इसी तरह जो कुछ अरसे का कह कर परदेस के लिए निकला था आज उसे वहा २० साल हो चूके थे उसकी मां उसका इंतज़ार करते करते मर गईं । उसकी बहने शादी शुदा हो गई । उसके बच्चे जवान हो गाए मेहरू अब जवान न रहि लेकिन वो दरवाजे पर बैठी उसका इंतज़ार करती । पिछले १५ सालो से उसकी कोई खबर ना मिली थीं सब समझ ते वो मर गाया जबकि उसे पुलिस ने पकड़ लिया था और आज उसकी रिहाई थी वो बोहोत खुश था की अपने वतन दोबारा लोट पाएगा।
Simran Bhagat
27-Jan-2022 08:07 PM
Good👍👍
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Akassh_ydv
27-Jan-2022 07:08 PM
वाह....बहुत खूब
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Shrishti pandey
27-Jan-2022 08:21 AM
Nice
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